आये दिन जो लेखक, साहित्यकार और फ़िल्मकार अपना - अपना अवार्ड लौटा रहे है
उनमे से 90% लोगो को आम जनता जानती ही नहीं, हासिये पर जा रहे ऐसे लोग
पब्लिसिटी की चाह में ऐसा कर रहे है, क्या अवार्ड वापस करके सब ठीक हो
जाएगा? सुना है कलम में बहुत ताक़त होती है, क्या आपके कलम को जंग लग गई है?
हिम्मत है तो कलम से लड़ो, इस तरह कायरतापूर्ण और नपुंसक बर्ताव करके देश
को कमजोर मत करो......!!
राजेश पाण्डेय
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